Farewell anchoring script in Hindi: साथियो ! विद्यालय में हर वर्ष विदाई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। जहॉ हमें मंच सञ्चालन की आवश्यकता पड़ती है तब हमें निम्न प्रकार के प्रश्नो के आंसर चाहिए होते है। जैसे –
How to celebrate a farewell party at a school .
स्कूल विदाई पार्टी स्क्रिप्ट इन हिंदी में कैसे लिखे।
विदाई पार्टी पर एंकरिंग कैसे करे।
कार्यक्रमों में मंच सञ्चालन कैसे करे।
दोस्तों ! इस तरह के प्रश्नो के जवाब आपको यहाँ पर दिए गए है। मंच सञ्चालन की पूरी स्क्रिप्ट आपके के लिए तैयार की गई है जो आपके लिए जरूर हेल्पफुल साबित होगी। तो चलिए शुरू करते है मंच सञ्चालन की यह स्क्रिप्ट।
Farewell Anchoring Script in Hindi
वक्रतुण्ड महाकाय : सूर्यकोटि समप्रभ :
निर्विग्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा :
आदिपूज्यं गणाध्यक्षं उमापुत्रं विनायकम्
मंगलम परमं रूपं श्री गणेशं नमाम्यहम्
परम सम्मानीय प्रधानाचार्य महोदय /प्रधानाध्यापक महोदय ,विद्यालय के सभी कर्तव्यनिष्ठ साथीगण और छात्र छात्राओं की तरफ से पधारें हुए अतिथिगणों का , आपके अपने बच्चों के सर्वागींण विकास का केंद्रबिंदु, जहाँ बच्चा केवल कोरी मिट्टी के समान आता है और पका हुआ बर्तन बनकर निकलता है। जहाँ बच्चें का भविष्य निर्धारित होता है । जहाँ बच्चें में संस्कार पनपते हैं। जहाँ आकर बच्चा अपने और आपके सपनों को साकार करने की कल्पना कर सकता है । जहाँ आकर बच्चा अपनी उड़ान भर सकता है ।अपनी पहचान बना सकता है — ऐसे विद्या के मंदिर में तहेदिल से हार्दिक अभिनंदन है स्वागत है।
आज यहाँ हम सभी मिलकर फेयरवेल पार्टी ( विदाई समारोह ) का आयोजन कर रहे है जिसमें –
ख़ुशी भी है और जाने का ख्याल भी होगा ।
थोड़ा इन्जॉय करेंगे और गम का माहौल भी होगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान है, हमारे गाँव के मुख्य प्रतिनिधि सरपंच साहिबा श्री मती…………….., विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद है विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री मान….……और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे है प्रधानाचार्य महोदय श्री मान………….. । आप सभी महानुभावो का बहुत बहुत स्वागत ।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वह समय आ चुका है, जब हमारे विद्यालय की अंतिम कक्षा 8 क्लास/10 क्लास , हमसे विदा होने जा रही है। और इसी के निमित्त यह कार्यक्रम आयोजित है ताकि उन छात्र छत्राओं को भावभीनी विदाई दी जा सके ।
सरस्वती वन्दना —
तो चलिए, कार्यक्रम की शुरुआत करते है सरस्वती पूजन से और इसके लिए मैं निवेदन करूँगा हमारे मुख्य अतिथि महोदय से और सहयोग हेतु विशिष्ठ अतिथि महोदय, प्रधानाचार्य महोदय । सभी महानुभाव प्रतिष्ठापित माँ सरस्वती के चित्र फलक पर धूपबत्ती व पुष्पार्पण करके कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत करे ।
तेरे चित्रफलक पर माता, हम सब शीश नवाते है ।
तिलक लगाकर दीप जलाकर, प्यारे फूल चढ़ाते है।
माँ सरस्वती के चित्रफलक पर पुष्प अर्पण करते हुए यह प्रार्थना करते है कि, है माँ ! हमारी वन्दना को स्वीकार करके समस्त बाधाओ को दूर करते हुए कार्यक्रम को सफल बनायें।
माँ सरस्वती तेरे चरणों में, हम शीश झुकाने आये हैं ।
दर्शन की भिक्षा लेने को, दो नयन कटोरे लाए है ।
सरस्वती वंदना के लिए में आमंत्रित करता हु, क्लास सेवंथ की छात्राएं ……………….। वे मंच पर आकर सरस्वती वंदना प्रस्तुत करें।
अतिथि स्वागत —
मंगलमय प्रार्थना के बाद अब हम हमारे बीच पधारे हुए अतिथि गणो का स्वागत करते हुए भारतीय संस्कृति की परम्परा को अक्षुण्ण बनाये रखने का प्रण करेंगे।
कहते है कि भारतीय संस्कृति में स्वागत सम्मान परम्परा है ।
लेकिन उसे अक्षुण्ण बनाये रखने की जिम्मेदारी भी हमारी है ।
प्यारे बच्चों ! जैसा कि हम सभी समाज के अभिन्न अंग है। और समाज में रहते हुए सामाजिक जीवन व्यतीत करते है। इस सामाजिक जीवन में हमें अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इन समस्याओ के निराकरण के लिए हमारे समाज के प्रतिनिधि हरसम्भव सहायता करते है। और गावं के विकास और समाज के उत्थान हेतु हमेशा तत्पर रहते है।
ऐसे ही विकासात्मक कार्यो का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग आज हमारे अतिथियों के रूप में विराजमान होकर इस मंच की शोभा बढ़ा रहे है।
में ऐसे प्रतिनिधिरूपी अतिथियों को नमस्कार करता हु ,नमन करता हु। और साथ ही प्रधानाध्यापक महोदय जी से निवेदन करूँगा कि वे मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान श्री ………..का माला पहनाकर व प्रतीक चिह्न भेंट करके उनका अभिनंदन करे।
विद्यालय के व.शिक्षक श्री……………… से निवेदन करूँगा की वे ,कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री मान…………. का माला पहनाकर व प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत करें।
स्वागत के अगले क्रम में स्टाफ़ साथी श्री मान………….. से आग्रह करूँगा कि वे हमारे बीच विराजमान विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री……………. जी का माला व प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत करें।
( इसी तरह क्रमवार सभी अतिथियों का स्वागत किया जाएगा………………. )
स्वागत सत्कार के बाद अब वह समय आ गया है जिसका आप सभी बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे, जी हाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम जो विद्यालय के छात्र छात्राओं के द्वारा तैयार किया गया है
इशिका योगी एंड दिव्या सेन —सर्वप्रथम नृत्य के लिए में आमंत्रित कर रहा हूँ , दो नन्ही नन्ही छात्राएं इशिका योगी एंड दिव्या सेन । वे मंच पर आए और अपने सान्ग “मोरनी बनके मोरनी बनके” पर नृत्य प्रस्तुत करें।
………नृत्य………
बहुत ही अच्छा प्रदर्शन इन छोटी छोटी बालिकाओं के द्वारा, वास्तव में बचपन मे इतनी मिठास, इतनी मधुरता और इतनी चंचलता भरी होती है, कि हर कोई अपने बचपन को फिर से जीना चाहता है। क्योंकि बचपन सच्चा होता है, चिंता मुक्त होता है।हम चाहकर भी बचपन को वापस नहीं ला सकते है लेकिन हम उसका अहसास जरूर कर सकते हैं । जैसा हमने अभी अभी किया । एक बार इन बच्चियों के लिए जोरदार तालिया बजा दीजिए ।
सुमन शर्मा — अब अगला जो परफॉर्मेंस है वह एक राजस्थानी सांग “घूमर” पर आधारित है ,जिसे लेकर के आ रही है क्लास सिक्स की छात्रा सुमन शर्मा । वह मंच पर आये ओर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करें।
……….नृत्य……..
क्या बात है इस नृत्य ने तो माहौल को राजस्थानीमय कर दिया । किसी ने क्या खूब कहा है कि –
राजस्थान की तो बात निराली है, यहा हर दिन होली ओर दीवाली है ।
गर नृत्य से तोला जाए रायथान को, तो फिर क्या हिंदी और क्या कव्वाली है।
जोरदार तालिया हो जाये इस परफॉर्मेंस के लिए।
पदमा रायका एंड आरती सोनी —
हजारो फ़रमाईश से भरे हैं बेटे
पर समय की नज़ाकत को समझतीं है बेटियां।
नाम करे ना करे बेटे अपने जीवन में
पर हमेशा नाम कमाती है बेटियां
बेटियों के जज्बे को सलाम करता हुआ यह सान्ग “बेटी हिंदुस्तान की,बेटी हिंदुस्तान की।” जिस पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता कर रहा हूं क्लास सेवंथ की छात्राएं पदमा रायका एंड आरती सोनी ।
…….नृत्य………..
बहुत ही शानदार ,देशभक्ति से ओतप्रोत नृत्य इन बालिकाओं के द्वारा प्रस्तुत किया गया । तालियों के साथ इनका उत्साहवर्धन बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
ज्योति गौतम एंड प्रिया खण्डेलवाल —
प्यारे बच्चों! राजस्थान की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। यहां की वेशभूषा और नृत्य वास्तविकता में राजस्थान को अलग ही छवि प्रदान करते है । ऐसे ही एक राजस्थानी सान्ग “बन्नी थारो चांद सो मुखड़ों ” पर नृत्य लेकर के आ रही है ज्योति गौतम एंड प्रिया खण्डेलवाल ।।वे मंच पर आए और अपना नृत्य प्रस्तुत करें।
……….नृत्य………
शानदार प्रदर्शन बालिकाओं के द्वारा । जोरदार तालियों से अभिनंदन करें।
पुरुस्कार वितरण —
अब अगले नृत्य का अनाउंसमेंट करू उससे पहले कार्यक्रम के सफ़र को पुरस्कार वितरण की ओर ले चलते हैं। जैसा कि विद्यालयों में शिक्षा के साथ साथ विभिन्न प्रकार की सहशैक्षिक एक्टिविटीज होती रहती है जो बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु बहुत ही आवश्यक है।
हालांकि विद्यालयों का वातावरण इस तरह का तैयार किया गया है जिसमें छात्र छात्राएं बिना डरे हुए स्वतंत्रता के साथ आपनी प्रतिभा को डेवलप करते रहते है। विद्यालयों के द्वारा भी समय समय पर इन्हें पुरस्कृत करते हुए हैं प्रोत्साहित किया जाता है। इसी कड़ी में हमारे विद्यालय के द्वारा भी छ: प्रकार के पुरुस्कार निर्धारित किए गए
1. पर्यावरण जागरूकता पुरूस्कार
2. श्रेष्ठ सक्रिय छात्र पुरूस्कार
3. सर्वाधिक उपस्थिति पुरूस्कार
4. श्रेष्ठ आज्ञाकारिता छात्र पुरूस्कार
5. बाल स्वच्छता पुरूस्कार
6. वाकपटुता पुरूस्कार
पुरूस्कार प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बहुत बहुत बधाई । और आशा करते है कि सभी छात्र-छात्राएं अपने टेलेंट को डेवलप करने का प्रयास करते रहेंगे और इसी तरह विद्यालय की तरफ से पुरूस्कार प्राप्त करते रहेंगे
विदाई रस्म —
प्यारे बच्चों ! अब वो समय आ चुका है जिसके लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था ।
अब वो रस्म निभानी है जिसे ना चाहकर भी निभानी पड़ती है।
चाहता कोई भी नहीं है फिर भी विदाई देनी पड़ती है।
जी हाँ, अब में कक्षा 8/10/12 वी के उन छात्र – छत्राओं को मंच पर बुलाना चाहता हूं जिनकी विदाई रस्म अदा करनी है।
इनकी विदाई रस्म के लिए क्लास 7 / 9 /11 के छात्र -छात्राऐं मंच पर आये और इन्हे तिलक व माला पहनाकर तथा विद्यालय की तरफ से प्रतीक चिन्ह भेँट करके रस्म को पूर्ण करें ।
[ सभी छात्र -छात्राओं को एक एक करके तिलक लगाकर माला पहनाना और प्रतीक चिन्ह भेट करते जाना ]
विद्यालय में गुजरे दिन अब तुम्हे याद आएंगे ।
साथियो के साथ बिताए लम्हें अब तुम्हे याद आएंगे।
जी लो इस पल को जीभरकर तुम।
क्योकि गए हुए ये पल अब तुम्हे याद आएंगे।
जी हाँ बच्चों ! विद्यालय में अपने साथियो के साथ आपने जो समय बिताया है ये आपको पुरे जीवन भर याद रहेगा। इस समय के किस्से आपको जरूर गुद गुदाते रहेंगे। हसांते रहेंगे।
इसलिए यहाँ से जिसने जितना भी पाया है अपने जीवन में जरूर उपयोग करना क्योंकि –
विद्या चाहने वाला ,विद्या चार जगह से पाता है।
एक चौथाई अपने गुरु से , एक चौथाई बुध्दि से ।
एक चौथाई सहपाठी से ,शेष समय से लाता है।
तब जाके वह चाहने वाला पूर्णमति कहलाता है।
यदि आपको पूर्ण बुध्दि वाला बनना है तो अपने गुरु ,बुध्दि ,सहपाठी और समय के साथ सामंजस्य बिठाकर आगे बढ़ना होगा और अपने लक्ष्य तक पहुंचना होगा।
अंत में, में प्रधानाध्यापक जी निवेदन करूँगा की वे अपनी प्रेरणात्मक वाणी से दो शब्द स्वरुप उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा करें।
Also Read : Annual Function Anchoring Script in Hindi
Also Read : Khabar Dinbhar